Ad Code

Responsive Advertisement

War 2 मूवी रिव्यू: एक्शन भरपूर, ऋतिक और जूनियर NTR , कौन पड़ा भारी?

War 2 मूवी रिव्यू: एक्शन भरपूर,  ऋतिक और जूनियर NTR , कौन पड़ा भारी?

 

War 2 मूवी रिव्यू: स्टाइल और एक्शन का ओवरडोज, पर आत्मा गायब!

जिस फिल्म का इंतजार पूरे देश को था, YRF स्पाई यूनिवर्स की सबसे बड़ी पेशकश, 'वॉर 2', आखिरकार सिनेमाघरों में आ चुकी है। ऋतिक रोशन के कबीर और जूनियर NTR के नए किरदार के बीच की टक्कर देखने के लिए हर कोई बेताब था। बड़े-बड़े एक्शन सीक्वेंस, दमदार स्टारकास्ट और विशाल बजट वाली इस फिल्म को लेकर उम्मीदों का पहाड़ था। लेकिन क्या यह फिल्म उस पहाड़ जितनी ऊंची साबित हुई? क्या कबीर का जादू फिर से चला? चलिए, करते हैं 'वॉर 2' का दूध का दूध और पानी का पानी।

नमस्ते दोस्तों! तो चलिए शुरू करते है लेकर प्रभु का नाम 🙏

फिल्म की कहानी क्या है?

कहानी वहीं से आगे बढ़ती है जहाँ हमने कबीर (ऋतिक रोशन) को छोड़ा था। वह अभी भी देश का एक जांबाज एजेंट है, लेकिन उस पर अपने ही एक सीनियर, कर्नल लूथरा (आशुतोष राणा) की हत्या का आरोप लग जाता है, जिसके बाद उसे एक 'दुश्मन एजेंट' (Rogue Agent) घोषित कर दिया जाता है।


War 2 मूवी रिव्यू: एक्शन भरपूर,  ऋतिक और जूनियर NTR , कौन पड़ा भारी?

कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब विक्रम (जूनियर NTR) की एंट्री होती है, जो कबीर का बचपन का दोस्त रघु हुआ करता था। आज विक्रम एक शक्तिशाली और खतरनाक इंसान बन चुका है और किसी वजह से कबीर के खिलाफ खड़ा है। कबीर को 'काली' नाम की एक रहस्यमयी संस्था का हिस्सा बना लिया जाता है, जिसके इरादे नेक नहीं हैं।

अब सवाल यह उठता है कि क्या कबीर सच में देशद्रोही बन गया है? उसने कर्नल लूथरा को क्यों मारा? विक्रम और कबीर की दोस्ती दुश्मनी में कैसे बदली? इन सभी सवालों के जवाबों के बीच एक्शन, धोखा और सस्पेंस का ताना-बाना बुना गया है। फिल्म में कर्नल लूथरा की बेटी काव्या (कियारा आडवाणी) भी है, जो मानती है कि कबीर निर्दोष है क्योंकि उसके पिता कबीर को बेटे की तरह मानते थे।

स्क्रिप्ट और डायरेक्शन का विश्लेषण: सबसे कमजोर कड़ी

दोस्तों, सच कहें तो किसी भी बड़ी एक्शन फिल्म की जान उसकी कहानी और पटकथा (Screenplay) होती है, और 'वॉर 2' यहीं पर सबसे ज्यादा मार खाती है।

  • उलझी हुई कहानी: आदित्य चोपड़ा द्वारा लिखी गई कहानी बहुत ज्यादा उलझी हुई और बिखरी हुई लगती है। जो बात 10 मिनट में समझाई जा सकती थी, उसे समझाने में 25-30 मिनट लगा दिए गए हैं, जिससे ऑडियंस कन्फ्यूज हो जाती है।
  • कमजोर स्क्रीनप्ले: श्रीधर राघवन का स्क्रीनप्ले कहानी को संभालने में नाकाम रहा है। फिल्म आपको इमोशनली कहीं भी नहीं जोड़ पाती। दो बचपन के दोस्तों के बीच की दुश्मनी का जो दर्द और भावनात्मक जुड़ाव होना चाहिए, वह पूरी तरह से गायब है। जब एक दोस्त दूसरे को मारता है, तो आपको बिल्कुल भी दुख महसूस नहीं होता।
  • फीके डायलॉग्स: अब्बास टायरवाला के लिखे डायलॉग्स भी औसत दर्जे के हैं। कुछ जगहों पर तो डायलॉग्स इतने बनावटी लगते हैं कि आप उनसे कनेक्ट ही नहीं कर पाते। "जाते-जाते भी रुला के जा रहा है" जैसे डायलॉग्स कोई असर नहीं छोड़ते।

डायरेक्टर अयान मुखर्जी ने फिल्म को स्टाइलिश बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन एक कमजोर स्क्रिप्ट के कारण उनका डायरेक्शन भी बेअसर सा लगता है।


War 2 मूवी रिव्यू: एक्शन भरपूर,  ऋतिक और जूनियर NTR , कौन पड़ा भारी?


एक्टिंग और परफॉरमेंस: सितारों की चमक, पर जादू नहीं

'वॉर 2' बड़े-बड़े सितारों से सजी है, लेकिन किसी का भी काम असाधारण (Extraordinary) नहीं कहा जा सकता।

  • ऋतिक रोशन (कबीर): ऋतिक अपने किरदार में अच्छे लगे हैं। उनका स्वैग और एक्शन हमेशा की तरह टॉप क्लास है, लेकिन उनके काम में कुछ भी नया नहीं है जिसे देखकर आप 'वाह' कह उठें।
  • जूनियर NTR (विक्रम): जूनियर NTR एक बेहतरीन एक्टर हैं और उन्होंने अपना काम बखूबी किया है। लेकिन उनसे जिस तरह की दमदार परफॉरमेंस की उम्मीद थी, वह देखने को नहीं मिली। कोई भी एक सीन ऐसा नहीं है जिसे देखकर लगे कि यह सिर्फ जूनियर NTR ही कर सकते थे।
  • कियारा आडवाणी (काव्या): कियारा स्क्रीन पर बहुत खूबसूरत लगी हैं, लेकिन उनका रोल बहुत छोटा और कमजोर है। उन्हें ज्यादा कुछ करने का मौका ही नहीं मिला।
  • अनिल कपूर और अन्य कलाकार: अनिल कपूर, आशुतोष राणा और बाकी सहयोगी कलाकारों का काम ठीक-ठाक है, लेकिन किसी का भी किरदार यादगार नहीं बन पाया है।

एक्शन और म्यूजिक: कुछ पल बेहतरीन, बाकी सब फीका

फिल्म का प्लस पॉइंट इसका एक्शन है। दो एक्शन सीक्वेंस सच में शानदार हैं:

1.       एक मूविंग ट्रेन के ऊपर कार चेस का सीन, जहाँ विक्रम एक लड़की को बचाता है। यह सीन आपको सीट से बांधे रखेगा।

2.     प्लेन के अंदर का पूरा एक्शन सीक्वेंस भी बहुत रोमांचक है।


War 2 मूवी रिव्यू: एक्शन भरपूर,  ऋतिक और जूनियर NTR , कौन पड़ा भारी?



लेकिन इन कुछ सीन्स के अलावा, बाकी एक्शन सिर्फ दिखावा लगता है क्योंकि आप कहानी से जुड़े ही नहीं होते।

प्रीतम का संगीत ठीक-ठाक है। 'जनाब-ए-अली' और 'आवन जावन' सुनने में अच्छे लगते हैं, लेकिन ये चार्टबस्टर गाने नहीं हैं। इस लेवल की फिल्म को ब्लॉकबस्टर गानों की सख्त जरूरत थी, जो इसमें नहीं हैं।

हमारा फाइनल फैसला: देखें या नहीं?

कुल मिलाकर, 'वॉर 2' एक ऐसी फिल्म है जिसकी बोतल तो बहुत खूबसूरत है, लेकिन अंदर का शरबत फीका है। यह फिल्म एक्शन प्रेमियों को कुछ हिस्सों में पसंद आ सकती है, लेकिन कमजोर कहानी और इमोशन्स की कमी इसे एक औसत फिल्म बना देती है। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अपनी स्टार पावर और छुट्टियों के कारण ठीक-ठाक कमाई कर लेगी, लेकिन यह लोगों के दिलों को जीतने में नाकाम रहेगी।

यह फिल्म लोगों को बहुत पसंद आएगी, इसकी उम्मीद कम है। अगर आप सिर्फ और सिर्फ स्टाइल, भव्य लोकेशन्स और ऋतिक-NTR को एक साथ पर्दे पर देखने के लिए जा रहे हैं, तो एक बार देख सकते हैं। लेकिन अगर आप एक दमदार कहानी और मनोरंजन की उम्मीद कर रहे हैं, तो आपको निराशा हाथ लग सकती है।

हमारी तरफ से 'वॉर 2' को 5 में से 2.5 स्टार।


------------------------------------------------------------------------------------------------------

डिस्क्लेमर:
इस रिव्यू में व्यक्त विचार केवल लेखक/वक्ता के व्यक्तिगत अनुभव और राय हैं।
इनका उद्देश्य किसी व्यक्ति, संस्था, निर्माता, निर्देशक, कलाकार या किसी भी संगठन की छवि को ठेस पहुँचाना नहीं है।
फिल्म/वेब सीरीज़ से जुड़े सभी नाम, पात्र, कहानियाँ और दृश्य उनके संबंधित कॉपीराइट मालिकों के अधिकार में हैं।
यह रिव्यू केवल मनोरंजन और जानकारी के उद्देश्य से बनाया गया है।
दर्शकों से अनुरोध है कि वे स्वयं विवेक के आधार पर सामग्री को देखें या न देखें।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ