दोस्तों, सिनेमा की दुनिया में कुछ फिल्में आती हैं,
कुछ सुपरहिट होती हैं, और कुछ इतिहास बना जाती
हैं। रजनीकांत सर और लोकेश कनगराज की 'कुली' उस तीसरी कैटेगरी की फिल्म है, जिसके बारे में आने
वाले कई सालों तक बातें होंगी। यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि
एक जश्न है - थलाइवा के फ़िल्मी दुनिया में 50 साल पूरे होने
का जश्न! जब इतने बड़े स्टार का 50 साल का अनुभव और आज के
सबसे जीनियस डायरेक्टर में से एक, लोकेश कनगराज का विज़न
मिलता है, तो स्क्रीन पर जो जादू होता है, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है।
फिल्म
की हाइप इतनी जबरदस्त थी कि पहले दिन ही इसने 100
करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया, सारे शो हाउसफुल
चल रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल जो हर किसी के दिमाग में था - क्या यह फिल्म
लोकेश सिनेमैटिक यूनिवर्स (LCU) का हिस्सा है? क्या हमें इसमें विक्रम या रोलेक्स की कोई झलक मिलेगी?
तो
दोस्तों, सीधे मुद्दे पर आते हैं। इसका
जवाब है - नहीं। खुद
डायरेक्टर लोकेश कनगराज ने कन्फर्म किया है कि "कुली एक स्टैंडअलोन फिल्म है।" यह LCU
का हिस्सा नहीं है। अब आप निराश हों, उससे
पहले यह जान लीजिए कि लोकेश ने LCU से भी ज्यादा खतरनाक और
अप्रत्याशित दुनिया बना दी है, जिसका आपने अंदाजा भी नहीं
लगाया होगा।
धोखेबाज़ ट्रेलर, जिसने सबको उल्लू बना दिया!
यकीन
मानिए, आपने 'कुली'
का जो ट्रेलर देखा है, वह फिल्म का सिर्फ 1%
है, बाकी 99% कहानी तो
थिएटर के लिए बचाकर रखी गई थी। लोकेश ने पब्लिक को उल्लू बनाने और धोखा देने की
कला में महारत हासिल कर ली है। ट्रेलर देखकर आपको लगेगा कि यह एक पिता और बेटी की
इमोशनल कहानी है, जिसमें हीरो अपनी दोस्त की बेटी की रक्षा
करने आता है। लेकिन असली कहानी इससे कोसों दूर है। फिल्म देखने के बाद आपको एहसास
होगा कि ट्रेलर का हर एक सीन आपको गुमराह करने के लिए ही बनाया गया था। सब कुछ
छुपाकर रखा गया है, और जब परतें खुलती हैं, तो आपका दिमाग टुकड़े-टुकड़े हो जाता है।
कहानी में ट्विस्ट नहीं, ट्विस्ट में कहानी है
अगर
मैं आपको इसकी कहानी बताने की कोशिश करूँ, तो भी नहीं बता पाऊंगा, क्योंकि इस फिल्म का
सब्जेक्ट ही इसका सबसे बड़ा सस्पेंस है। यह फिल्म ट्विस्ट पर नहीं बनी है, बल्कि ट्विस्ट के बीच में इस फिल्म को बनाया गया है। कहानी की शुरुआत होती
है जब देवा (रजनीकांत) अपने बचपन के दोस्त के अंतिम संस्कार में शामिल होने जाता
है, जिसकी मौत हार्ट अटैक से बताई जाती है। लेकिन जब यह
हार्ट अटैक एक मर्डर में बदलता है, तब 'कुली' की असली कहानी शुरू होती है जो आपको सीट से
बांध लेती है।
फिल्म
का असली सब्जेक्ट सिर्फ एक 'कुर्सी' है। जी हाँ, एक मामूली
सी कुर्सी ने इस फिल्म को लोकेश की बाकी फिल्मों से बिलकुल अलग बना दिया है। यह
कुर्सी क्या है और इसका क्या राज है, यह जानने के लिए आपको
फिल्म देखनी पड़ेगी।
शतरंज और साँप-सीढ़ी का खतरनाक खेल
यह
फिल्म एक शतरंज के खेल की तरह है। कुली का राजा है साइमन, और उसके सामने वजीर बनकर खड़ा है दयाल। ये सब मिलकर
बाकी गोटियों का शिकार कर रहे हैं। लेकिन यह खेल तब साँप-सीढ़ी में बदल जाता है,
जब 99 पर बैठे साइमन के रास्ते में एक खतरनाक
साँप आ जाता है - देवा। पर कहानी यहीं खत्म नहीं होती, क्योंकि
साँप का दुश्मन नेवला भी होता है! इस कहानी का हर इंसान एक खतरनाक जानवर जैसा है,
जो कब किसे डस ले, कोई नहीं जानता।
सितारों की महफ़िल और परफॉरमेंस का तूफान
'कुली' सिर्फ रजनीकांत की फिल्म नहीं है, यह हर एक एक्टर के करियर की यादगार फिल्म बन गई है।
- रजनीकांत (थलाइवा का जलवा): इस उम्र में ऐसी एनर्जी और स्क्रीन प्रेजेंस! रजनीकांत सर ने साबित
कर दिया कि वो क्यों इंडस्ट्री के 'बच्चा' हैं। उनके पास्ट के फ्लैशबैक सीन जब स्क्रीन पर आते हैं, तो थिएटर स्टेडियम बन जाता है। सीटियां और तालियां रुकने का नाम नहीं
लेतीं। एक्शन, कॉमेडी, ट्रेजेडी,
माइंड गेम्स - ऐसा कुछ नहीं है जो इस एक इंसान ने फिल्म में
नहीं किया हो।
- असली सरप्राइज पैकेज - सौबिन शाहिर: अगर आप विलेन किसी और को समझ रहे हैं, तो आप
गलत हैं। इस फिल्म का असली गेम-चेंजर सौबिन शाहिर हैं। एक भोला सा चेहरा,
लेकिन दिमाग इतना खतरनाक कि अकेले अपने दम पर उन्होंने फिल्म
की कहानी को शुरू से अंत तक बदलकर रख दिया। सिर्फ उनके किरदार के लिए आप यह
फिल्म दोबारा देख सकते हैं।
- स्टाइलिश नागार्जुन और खूंखार उपेंद्र: नागार्जुन को फिल्म के सबसे स्टाइलिश कैरेक्टर के रूप में दिखाया गया
है। उनका एक गाना भी है 'आई एम द डेंजर', और यकीन मानिए, वो सच बोल रहे हैं। वहीं,
उपेंद्र को जिस तरह से फिल्म में यूज़ किया गया है, वो सीन फिल्म के 'एडल्ट सर्टिफिकेट' को पूरी तरह जस्टिफाई करता है। जब वो पर्दे पर आते हैं, तो खून-खराबा भयानक हो जाता है।
- आमिर खान का कैमियो: हाँ, फिल्म में आमिर खान का एक कैमियो है,
लेकिन ईमानदारी से कहूँ तो 'रोलेक्स'
के बाद यह उतना प्रभावशाली नहीं लगता। उन्हें सही से इस्तेमाल
नहीं किया गया, जो एक छोटी सी निराशा है।
पर्दे के पीछे के असली हीरो
इस
फिल्म के दो असली हीरो हैं। पहले, लोकेश कनगराज, जिन्होंने LCU के प्रेशर के बावजूद एक बिलकुल नई और फ्रेश कहानी बनाने का साहस किया।
उनकी डायरेक्शन शानदार है। दूसरे हीरो हैं अनिरुद्ध
रविचंदर। भाई, यह बैकग्राउंड
म्यूजिक नहीं, 'वाई-फायर' म्यूजिक है!
यह फ्रंट-सेंटर म्यूजिक है जो हर सीन को 10 गुना ऊपर उठा
देता है।
हमारा फैसला: क्यों देखनी चाहिए 'कुली'?
'कुली' एक टोटली अनप्रिडिक्टेबल फिल्म है, जिसकी कहानी में आपको बहुत कुछ अनपेक्षित और एकदम नया देखने को मिलेगा। इस
गलतफहमी में बिलकुल मत रहना कि यह बाकी साउथ फिल्मों की तरह सिर्फ बड़े स्टार के दम
पर चलने वाली फिल्म है। इस फिल्म का हर कैरेक्टर एक सरप्राइज है।
हाँ, फिल्म के सेकंड हाफ की शुरुआत थोड़ी धीमी है और
डायलॉग ज्यादा हैं, लेकिन उसके बाद फिल्म जो रफ़्तार पकड़ती है,
वो अंत तक नहीं रुकती। यह एक मिर्च-मसाला मिस्ट्री सिनेमा है। फिल्म
को 'A' सर्टिफिकेट मिला है, तो इसमें
हिंसा और खून-खराबा काफी ज्यादा है, इसे ध्यान में रखकर ही
जाएं।
कुल
मिलाकर, 'कुली' एक
ऐसा अनुभव है जिसे आप थिएटर में ही महसूस कर सकते हैं। खुद देखो, जान जाओ!
हमारी
रेटिंग: 4/5 स्टार्स
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