अब सिर्फ़ आयात नहीं, निर्यात भी! भारत से दुनिया के 100 देशों में
दौड़ेगी 'मेड इन इंडिया' इलेक्ट्रिक
कार
दोस्तों, आज भारत के ऑटोमोबाइल इतिहास में एक नया और सुनहरा
पन्ना जुड़ गया है। वह दिन दूर नहीं जब दुनिया की सड़कों पर "मेड इन
इंडिया" की इलेक्ट्रिक गाड़ियां शान से दौड़ती नजर आएंगी। प्रधानमंत्री श्री
नरेंद्र मोदी ने गुजरात के गांधीनगर में सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन के 40 साल पूरे होने के अवसर पर एक ऐसे कार्यक्रम का उद्घाटन किया, जो भारत की आत्मनिर्भरता और वैश्विक शक्ति बनने की कहानी को और मजबूत करता
है।
प्रधानमंत्री
मोदी ने भारत में बनी पहली बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (BEV) - सुजुकी की e-Vitara को
हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह कोई आम गाड़ी नहीं है, बल्कि
यह उन गाड़ियों के पहले बैच का हिस्सा है जिन्हें भारत से यूरोप और जापान जैसे
विकसित देशों सहित दुनिया के 100 से अधिक देशों में निर्यात
किया जाएगा। यह सिर्फ एक गाड़ी का निर्यात नहीं है, बल्कि 'आत्मनिर्भर भारत' के उस सपने की तरफ एक मजबूत छलांग
है, जहां भारत अब केवल चीजों का आयातक नहीं, बल्कि एक बड़ा निर्यातक बनकर उभर रहा है।
क्या है यह पूरा कार्यक्रम?
यह
कार्यक्रम दो ऐतिहासिक विकास कार्यों का साक्षी बना। पहला, हरियाणा के खरखौदा में सुजुकी के नए व्हीकल
मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का शिलान्यास और दूसरा, गुजरात के
हंसलपुर में सुजुकी के बैटरी प्लांट का उद्घाटन। गुजरात का यह प्लांट भारत के
इलेक्ट्रिक व्हीकल इकोसिस्टम के लिए एक गेम-चेंजर साबित होने वाला है। यहां
एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (ACC) बैटरी का निर्माण किया जाएगा,
जो इलेक्ट्रिक गाड़ियों की जान होती हैं।
सबसे
बड़ी बात यह है कि इस प्लांट में 80%
से अधिक बैटरी का निर्माण भारत में ही किया जाएगा। इसका मतलब है कि
हम अब बैटरी जैसी महत्वपूर्ण तकनीक के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहेंगे। यह 'मेक इन इंडिया' पहल को जमीन पर उतारने का एक
जीता-जागता उदाहरण है।
"मेक इन इंडिया" से "मेक फॉर द वर्ल्ड" का सफर
एक
समय था जब भारत टेक्नोलॉजी और गाड़ियों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था। लेकिन आज
तस्वीर बदल चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान ने
देश में एक नई ऊर्जा का संचार किया है। अब भारत न केवल अपनी जरूरतों के लिए
उत्पादन कर रहा है, बल्कि दुनिया के लिए भी एक विश्वसनीय
मैन्युफैक्चरिंग हब बन रहा है।
सुजुकी
का यह कदम इस बात का प्रमाण है कि दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत को अब सिर्फ
एक बाजार के रूप में नहीं, बल्कि
एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र (Global Manufacturing Hub) के
रूप में देख रही हैं। भारत अब सुजुकी के इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक प्रमुख
उत्पादन और निर्यात केंद्र बन चुका है, जो हर भारतीय के लिए
गर्व की बात है।
सिर्फ़ गाड़ी नहीं, भविष्य की नींव भी
यह
पहल सिर्फ़ गाड़ियां बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भविष्य की टेक्नोलॉजी में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की एक मजबूत
नींव रख रही है। आइए जानते हैं इसके कुछ और गहरे पहलुओं को:
- बैटरी टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता: लिथियम-आयन बैटरी का उत्पादन देश में होने से इलेक्ट्रिक वाहनों की
लागत कम होगी और उनकी उपलब्धता बढ़ेगी। इससे न केवल उद्योग को फायदा होगा,
बल्कि आम आदमी के लिए भी इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदना आसान हो
जाएगा।
- सेमीकंडक्टर तकनीक को बढ़ावा: इन आधुनिक गाड़ियों और बैटरियों में सेमीकंडक्टर चिप का इस्तेमाल
होता है। भारत सरकार सेमीकंडक्टर के उत्पादन को लेकर भी बहुत गंभीर है और
गुजरात को इसका हब बनाने की दिशा में काम कर रही है। जब चिप और बैटरी दोनों
देश में बनेंगे, तो हमारी निर्भरता लगभग खत्म हो जाएगी।
इस प्लांट के बड़े फायदे क्या हैं?
इस
ऐतिहासिक कदम का असर सिर्फ ऑटोमोबाइल सेक्टर पर ही नहीं, बल्कि पूरे देश पर पड़ेगा। इसके कुछ बड़े फायदे इस
प्रकार हैं:
1.
आर्थिक
विकास और रोजगार: किसी
भी बड़े प्लांट की स्थापना से हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होते
हैं। गुजरात के मेहसाणा जैसे इलाकों में इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और
क्षेत्र का आर्थिक विकास तेजी से होगा।
2.
पर्यावरण
के लिए एक बड़ी जीत: हम
सब जानते हैं कि पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियों से कितना प्रदूषण होता है।
इलेक्ट्रिक वाहन (EV) कार्बन उत्सर्जन को कम करने में एक
महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह भारत के 2070 तक नेट-जीरो
उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे हमारे शहर
की हवा साफ होगी और लोगों का स्वास्थ्य बेहतर होगा।
3.
विदेशी
मुद्रा की बचत: जब
हम बैटरी और अन्य पार्ट्स का आयात करते हैं, तो हमें कीमती
विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है। अब जब उत्पादन देश में ही होगा, तो यह पैसा बचेगा और जब हम निर्यात करेंगे, तो
विदेशी मुद्रा हमारे देश में आएगी, जिससे अर्थव्यवस्था और
मजबूत होगी।
4.
वैश्विक
मंच पर भारत की नई पहचान: यह कदम दुनिया को यह संदेश देता है कि भारत अब टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और क्वालिटी मैन्युफैक्चरिंग में किसी से पीछे नहीं है। यह 2047
तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को और मजबूत करता है।
सारांश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सुजुकी के 'मेड इन इंडिया' इलेक्ट्रिक
वाहन को हरी झंडी दिखाना सिर्फ एक इवेंट नहीं है। यह बदलते हुए भारत की एक झलक है
- एक ऐसा भारत जो आत्मनिर्भर है, जो पर्यावरण के प्रति सजग
है, और जो दुनिया का नेतृत्व करने के लिए तैयार है। यह उस नए
भारत की नींव है जहां सपने देखे भी जाते हैं और उन्हें साकार भी किया जाता है। यह
सिर्फ एक शुरुआत है, और आने वाले समय में भारत दुनिया के लिए
एक ग्रीन एनर्जी और EV हब बनकर उभरेगा, इसमें कोई शक नहीं है।


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